नागपंचमी हिन्दुओं का एक पौराणिक पर्व – रेखा चौरसिया ( कवि ).

संजय कुमार चौरसिया ब्यूरो रिपोर्ट बस्ती.

बस्ती – नागपंचमी नाग वशियों का पर्व है ऐसी मान्यता है ,किंतु उत्तर भारत का विशेष पर्व नाग पंचमी सर्पों के लिए मनाया जाने वाला एक अनोखा पर्व है। भारतवर्ष में वैसे तो अनेक त्योहार मनाए जाते हैं लेकिन विशेष रूप से नागपंचमी का त्योहार अपना खास महत्व रखता है ।यह क्यों मनाया जाता है इसके बारे में प्राचीन मान्यतानुसार , एक प्राचीन कथा प्रचलित है कि नागमाता कद्रू दक्षप्रजापति की पुत्री थी ।उनका विवाह महर्षि कश्यप जी के साथ होता है ।एक बार अपनी पत्नी द्वारा निष्ठा भाव से की गई सेवा से प्रसन्न होकर महर्षि ने कद्दू से वरदान मांगने को कहते हैं।
कद्रू ने बहुत विचार कर 1000 नागों को पुत्र रूप में प्राप्त करने का वर मांगा।समय के साथ कद्रू को 1000 पुत्र सर्पों के रूप में प्राप्त हुए।आदिकाल में समुंद्र मंथन के दौरान देवताओं और राक्षसों ने वासुकी नाग को रस्सी की तरह मंथन के लिए उपयोग किया।कई अमूल्य वस्तुओं के बाद उच्चयश्रवा नाम का अश्व भी निकला उसके सुंदर स्वरूप को देखकर कद्रू ने अपनी सौतन विनीता से कहा कि ये घोड़ा कितना सुंदर है इसके काले बाल से इसकी शोभा और बढ़ जाती है।यह देख विनीता बोली कि यह घोड़ा तो सफेद रंग का है ,और इतना भी नहीं कि जितना तुम्हे दिखाई दे रहा है।इसके बाल काले हो ही नहीं सकते ।जैसा कि आपको दिखाई दे रहे हैं । यह देख कद्रू ने शर्त रखी की यदि ऐसा नहीं होगा तो वह उसकी दासी बन जाएगी अन्यथा वैसा होने पर उसे उसकी दासी बनना होगा। विनीता ने शर्त मान ली। कद्रू किसी भी प्रकार से अपनी बात को मनवाना चाहती थी,उनके मन में छल आ गया, उन्होंने अपने सभी सर्प पुत्रों को बुलवाया और कहा की उच्चयश्रवा की गर्दन के इर्द गिर्द ऐसे लिपट जाओ कि विनीता को लगे कि उसके बाल काले हैं ।
सर्पों ने अपनी मां से कहा की इस अनुचित कार्य को नहीं करेंगे ,ये छल होगा। माता कद्रू कुपित हो गई,स्वयं को अपमानित जान उन्होंने सभी सर्पों को श्राप दे दिया कि कुछ वर्षों के पश्चात पांडव वंश में राजा जनमेजय सर्पों का नाग यज्ञ करेंगे और तुम सब उसमें जल कर भस्म हो जाओगे ।ऐसा सुनकर सभी सर्प डर गए और तुरंत वासुकी नाग को लेकर ब्रह्मा जी के पास गए तो ब्रह्मा जी बोले कि हे नाग देवता आप बिलकुल भी चिंतित न हो कुछ समय बाद यायावर वंश में एक जलदकारू नाम का राजा होगा उससे तुम अपनी पुत्री का विवाह कर देना उनके संयोग से एक पुत्र का जन्म होगा उसका नाम आस्तिक होगा वह जनमेजय के नाग यज्ञ में उस यज्ञ को रोककर तुम्हारी रक्षा करेगा।सभी सर्प बड़े हर्षित हुए ,ब्रह्मा जी द्वारा दिया गया वरदान सत्य सिद्ध हुआ।आस्तिक मुनि ने समय पर नागयज्ञ को रोककर सर्पों की रक्षा की।यह दिन नागलोक में विशेष रूप से मनाया गया। जिस दिनयह यज्ञ था उस दिन वह पंचमी की तिथि थी इसलिए वह तिथि नागपंचमी के नाम से जानी जाती है।

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