सरकारी स्कूल के शिक्षक बच्चों को लाठी लेकर पढ़ाने को हैं मजबूर – पढ़े खबर आखिर क्यों?

 गढ़वा ब्यूरो चीफ डॉ श्रवण कुमार की रिपोर्ट।

एटीएच न्यूज़ 11:- गढ़वा जिले के कांडी प्रखंड स्थित एक सरकारी स्कूल के शिक्षक लाठी लेकर बच्चों को पढ़ाने के लिए मजबूर हैं। क्योंकि सरकार की अनदेखी से एक सरकारी स्कूल के 77 फ़ीसदी भूमि पर ग्रामीणों ने अवैध कब्जा जमा रखा है। अवैध कब्जा एवं बच्चों को हो रही घोर असुविधा की बात कहने पर कब्जाधारियों के द्वारा शिक्षक के साथ दुर्व्यवहार शुरू कर दिया जाता है। जिससे बचाव के लिए शिक्षक को बराबर लाठी लेकर रहना पड़ रहा है। अवैध कब्जा का परिणाम है कि कमरे में बैठकर पढ़ने छोड़कर प्रार्थना करने, पानी पीने की जगह एवं स्कूल आने-जाने का रास्ता भी बच्चों को नसीब नहीं है। इस प्रकार काफी अभागे हैं वह बच्चे जो इस स्कूल में पढ़ाई करते हैं। यही हाल-उन शिक्षकों की है जो यहां पदस्थापित हैं। पब्लिक के द्वारा इस तरह का नायाब कारनामा कांडी प्रखंड अंतर्गत राजकीय प्राथमिक विद्यालय सबुआ के साथ पेश आया है। 7 वर्षों से विद्यालय की जमीन पर लोगों ने अवैध कब्जा जमा रखा है। तभी से इस स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक नवीन कुमार दुबे के द्वारा अंचल कार्यालय कंडी में आवेदन देकर अतिक्रमण हटाए जाने की गुहार लगाई जाती रही है। उल्लेखनीय है कि इस विद्यालय की सबुआ गांव के खाता नंबर 80 एवं प्लॉट नंबर 342 व 343 में 14 डिसमिल जमीन है। जिसमें से 11 डिसमिल जमीन पर हरिगंगा राम पिता स्वर्गीय रामधन तांतो के द्वारा अवैध कब्जा जमा लिया गया है। जबकि हरिगावां गांव के खाता नंबर 147 प्लॉट नंबर 546 में 12 डिसमिल विद्यालय की जमीन है। जिसमें से नौ डिसमिल जमीन पर सरजू साह, दूधेश साह, शिवनाथ साह व रघुनाथ साह पिता सीताराम साह के द्वारा कब्जा कर लिया गया है। इस प्रकार विद्यालय की कुल 26 डिसमिल जमीन में से केवल 6 डिसमिल जमीन स्कूल के पास है। शेष 20 डिसमिल जमीन पर अवैध कब्जा जमा लिया गया है। जिसका नतीजा है कि विद्यालय का कमरा एवं बरामदा को छोड़कर बित्ता भर जमीन भी विद्यालय के पास नहीं है। जबकि तत्कालीन अंचल अधिकारी अजय कुमार दास ने विद्यालय से प्राप्त आवेदन के आलोक में सीओ के पत्रांक 129 दिनांक 17 मार्च 2023 के आदेश के तहत 18 मार्च 2023 को अंचल अमीन एवं राजस्व उप निरीक्षक के द्वारा विद्यालय के जमीन की मापी करके खूंटागड़ी कर दी गई थी। लेकिन कब्जाधारियों के द्वारा तमाम खूंटा डंडा उखाड़ कर फिर से जमीन में खेती कर दी गई। विद्यालय के बच्चों के पास प्रार्थना करने के लिए भी जमीन नहीं छोड़ी गई है। अभी 2 दिन पहले की बात है स्कूल के चापाकल में सटकर इस तरह कांटे का घोरान कर दिया गया कि चापाकल चलाकर पानी पीना भी मोहाल हो गया। जबकि उससे काफी आगे तक विद्यालय की जमीन है। मामला इतना ही तक नहीं है बच्चों व शिक्षकों का स्कूल में आने का रास्ता भी नहीं है। बच्चे खेत की मेंड़ पर चलकर विद्यालय आते हैं। जिसके दोनों तरफ कांटों का बाड़ा लगाया हुआ है। प्राय: बच्चे पतली मेड पर से गिर जाते हैं। जिससे उनके शरीर में या तो कांटा लगता है या खेती के दिन में क्यारी के कीचड़ पानी में सन जाते हैं। जबकि वस्तु स्थिति है कि प्लॉट नंबर 547 में 33 डिसमिल जमीन सरकारी भूमि है। जिधर से होकर विद्यालय में रास्ता जाता है। उस जमीन पर भी अवैध कब्जा जमा लिया गया है। जिससे विद्यालय में आना-जाना भी कठिन हो गया है। इस तरह की दुर्दशा में ना तो किसी विद्यालय के बच्चे पढ़ाई करते हैं और ना इतनी दुर्दशा में कोई शिक्षक पढ़ाने जाता है। यह दारुण व्यथा केवल सबुआ विद्यालय के नाम से ही दर्ज है। यह समस्या कई बार मीडिया की सुर्खियां बनता रहा है। बावजूद इसके सरकारी महकमा ने विद्यालय की जमीन को विद्यालय के कब्जे में दिलाने का कारगर प्रयास कभी नहीं किया। हाल में 25 जून 2024 को भी अनुमंडल पदाधिकारी गढ़वा को अतिक्रमण हटाए जाने को लेकर फरियाद की गई है। वहां दिए गए आवेदन में सारी स्थिति वर्णित है। जबकि 28 जून 2024 को कांडी अंचल में आयोजित सीओ के जनता दरबार में भी इस विषयक आवेदन दिया गया है। बरसात के मौसम में इस हालात में बच्चों एवं शिक्षकों को और भारी कठिनाई हो जाती है। बेहतर होता प्रशासन प्रथम प्राथमिकता देते हुए सबुआ विद्यालय को अतिक्रमण मुक्त करते हुए दोषियों के विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाती।

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