श्रीमद्भागवत कथा का रसापान करने से मिलती है बुरे कर्मों से मुक्ति.

 

संजय कुमार चौरसिया ब्यूरो रिपोर्ट बस्ती.

कलवारी। कलयुग में श्रीमद्भागवत पुराण की कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। कलयुग में हरि नाम स्मरण मात्र से ही मानव रूपी जीव का कल्याण हो जाता है। यह बातें विकास क्षेत्र कुदरहा के बगही गांव में चल रही नौ दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन शुक्रवार को वशिष्टनगर से पधारे भागवत कथा मर्मज्ञ पं हौसिला प्रसाद मिश्र ने भगवान श्रीकृष्ण के रास रचाने से लेकर विवाह तक की कथा का प्रसंग सुनाते हुए कहा।
गोपी लीला वर्णन करते हुए कथा व्यास ने उद्धव गोपी संवाद का रसापान कराया। उन्होंने बताया कि भगवान श्री कृष्ण गोपियों से रास करते हैं रास के संबंध में महाराज जी कहते हैं जी जिस प्रकार से किसान अपने खेतों से अन्न लाता है तो उसे राशि कहता है जिस प्रकार से किसान के मेहनत का फल अन्नपूर्णा राशि है उसी प्रकार से जीव के जन्म जन्मांतर के जब पुण्य होते हैं तब जीवात्मा को परमात्मा का संघ प्राप्त होता है उसी क्षण को राश कहते हैं राशि के संबंध में जो आजकल के लोगों का विचार प्रेमी प्रेमिका के मिलन को मानते हैं वह रास नहीं है क्योंकि जब भगवान ने रास रचाया उस समय प्रभु की आयु मात्र 7 वर्ष की थी आज के घोर कलयुग में भी 7 वर्ष के बालक के अंदर काम का प्रादुर्भाव नहीं होता तो भला हमारे प्रभु के अंदर काम की भावना कैसे आ सकती है यह गोपियां पूर्व जन्म की ऋषि संत महात्मा वेद की दिशाएं नदियां इत्यादि देवी देवता जोकि भगवान के दर्शन को जन्म जन्मांतर की प्यासी थी प्रभु ने उन्हें अपना दर्शन दिया उसी क्षण को रास कहते हैं तत्पश्चात महाराज जी ने कंस बध से लेकर भगवान श्री कृष्ण और रुकमणी के विवाह तक की कथा का विस्तार से बर्णन किया।
इस दौरान मुख्य यजमान मुक्ता देवी, हरिश्चंद्र मिश्र, गिरीश चन्द मिश्र, राम चरित्र मिश्र, बंसराज, बाबूराम, राम चन्दर मिश्र, अशोक कुमार, आयुष, प्राकाम्य मिश्र, राकेश मिश्र, पंकज मिश्र, सन्तोष कुमार, आशुतोष, त्रयम्बक, भानू सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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