हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, पति व सास-ससुर से अभद्र व्यवहार करना होगा क्रूरता.

 

ATH NEWS 11 :-छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में तलाक की मांग पर पति ने याचिका दायर की। कोर्ट में तलाक की मांग का कारण बताते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि पत्नी अपने पति व सास-ससुर के साथ अभद्र व्यवहार करती है। इस पर कोर्ट ने पति की याचिका को मंजूर करते हुए कहा कि पति व सास-ससुर के साथ दुव्यवहार क्रूरता है।बता दें, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में तलाक की याचिका दायर की कई है। इस याचिका में बताया गया है कि कबीरधाम में रहने वाले व्यक्ति की शादी फरवरी 2002 में वहीं रहने वाली महिला के साथ हुई थी। शादी के बाद उनकी दो बेटियां हुई। पति के अनुसार पत्नी छोटी-छोटी बातों को लेकर विवाद किया करती थी।उनके साथ ही बुजुर्ग माता-पिता से भी अभद्रता किया करती। मामूली बातों और अपने मन मुताबिक नहीं होने पर नाराज होकर गलत व्यवहार शुरू कर देती। बाद में उसने सास-ससुर से अलग रहने का दबाव बनाया। पत्नी के पिता ने सलाह दी कि वे उनके एक मकान में रह सकते हैं। इसके बाद सामाजिक बैठक भी हुई। बाद में वे दिसंबर 2013 से पत्नी और बेटियों के साथ दूसरी जगह रहने लगे।अलग जगह रहने के बाद भी पत्नी के व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं आया और वह पहले से ज्यादा मानसिक क्रूरता करने लगी। पति ने कोर्ट में याचिका दायर की औ उसने फेमिली कोर्ट में आवेदन प्रस्तुत किया। लेकिन फरवरी 2016 को कोर्ट ने उनके पक्ष रखने उपस्थित नहीं होने पर मामले को खारिज कर दिया।इससे पहले वर्ष 2013 में पत्नी ने उसके मामा-पिता और उसके सरकारी नोक्री कर रहे भाई के खिलाफ थाने में झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पत्नी ने दोनों बेटियों को भी अपने पास रखा है उसे बेटियों से मिलने भी नहीं दिया जाता है।पत्नी की तरफ से भी कोर्ट में दलील दी गई कि शादी के तुरंत बाद उसके पति और ससुराल वाले दहेज की मांग के कारण उसके साथ क्रूरता करते थे। बेटी का जन्म होने पर ससुराल वालों ने उसके साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया। मारपीट की और उसे ससुराल से निकालने का प्रयास किया।

हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई जस्टिस गौतम भादुडी और संजय एस. अग्रवाल की बेंच में हुई। कोर्ट ने पति और उनके माता-पिता से अभद्रता और पिछले 10 सालों से अलग रहने को क्रूरता मानते हुए याचिका को मंजूर की है। फेमिली कोर्ट के आदेश को निरस्त करते हुए पति के पक्ष में विवाह विच्छेद की डिक्री पारित की गई है। कोर्ट ने कहा कि सालों से अलग रहना विवाह विच्छेद का आधार नहीं लेकिन यह क्रूरता है।

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