सासाराम:-शहीद शिरोमणि श्री गुरु अर्जन देव पातशाही जी का 418 वां पावन शहीदी गुरु पर्व के अवसर पर मंगलवार को सिख बंधुओं ने लोगों को शरबत से सेवा की. इस भीषण गर्मी के बीच बड़ी संख्या में लोगों ने ठंडा शरबत प्रसाद के रूप में ग्रहण किया. सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के जत्थेदार सर्वजीत सिंह खालसा ने बताया कि शहीदी गुरु पर्व पर पिछले 25 मई से श्री अखंड पाठ साहिब जी का पाठ हो रहा था, जिसकी मंगलवार की समाप्ति पर ऐतिहासिक गुरुद्वारा चाचा फगुमल साहिब जी में भव्य कीर्तन दरबार आयोजित हुआ. इसके बाद ठंडे शरबत से लोगों की सेवा की गई. उन्होंने कहा कि शिरोमणि ग्रंथ श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के रचनाकार स्वर्ण मंदिर के शिल्पकार शिरोमणि ज्ञानी गुरु अर्जन देव पातशाही जी महाराज ने वर्तमान शासक के विरोध में एकेश्वरवाद (निरंकार) पर अटूट विश्वास रखते हुए दुनिया का पहला सबसे दर्दनाक मृत्यु के फतवे को गले लगा लिया था. लाहौर (पाकिस्तान ) डेरा साहिब के विख्यात स्थल पर जलते चूल्हे पर रखे लोहे की तवा पर बैठक अपने को शहीद कर दिया था.
शर्बत से लोगों की सेवा में हेड ग्रंथी रणजीत सिंह, प्रधान सूचित सिंह, मनजीत सिंह, सुमेर सिंह, हरगोविंद सिंह, चरणजीत सिंह, मोहित सिंह, धर्मेंद्र सिंह, कमलजीत सिंह, गुरमुख सिंह, जामवंत सिंह, गुरदीप सिंह, प्रिंस सिंह, दिलीप सिंह, रविंद्र सिंह, जानू सिंह, अजीत सिंह, सुशील सिंह, अजय सिंह, दशमेश सिंह, शिवम कुमार, प्रिंस कुमार, प्रो. सुभाष चन्द्र यादव, लाल साहब यादव, चंद्रशेखर यादव, रामचन्द्र ठाकुर, मो अली, शिवंत कुशवाहा, मो राजा, अरविन्द यादव, मो तौकीर आलम आदि थे.