नगर आयुक्त के लुटेरा गैंग की नहीं गलेगी दाल, चुपचाप नहीं लुटने देंगे निगम का खजाना:- मेयर काजल कुमारी.

 

सासाराम :-नगर आयुक्त यतेंद्र कुमार पाल की सेवा वापसी के लिए सशक्त स्थायी समिति के सदस्यों ने प्रस्ताव पास कर दिया है. इसपर एक्शन लेने के लिए उन्होंने नगर विकास एवं आवास विभाग को पत्र लिख दिया है. लेकिन, इसके बावजूद भी मेयर और नगर आयुक्त के बिच का तकरार थमने का नाम नहीं ले रहा है, जिससे निगम के कार्य प्रभावित हो रहे हैं. मेयर के निर्णयों को धरातल पर उतारने में नगर आयुक्त की बड़ी भूमिका होती है. लेकिन, वह अपना दायित्व नहीं निभा रहे हैं, जिसका असर शहर के विकास कार्य पर पड़ रहा है. सोमवार को मेयर काजल कुमारी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया कि नगर आयुक्त ने एक लुटेरा गैंग बनाया है, जो निगम की राशि लूटने के फिराक में लगे हुए हैं. लेकिन, ऐसा नहीं होगा. मेयर ने कहा कि इनके साथ कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो निगरानी की ओर से पहले ही चार्जशीटेड हैं, जो खुद तो डूबेंगे. नगर आयुक्त को भी डुबोयेंगे. मेयर ने कहा कि 16 माह पूर्व नगर निगम बोर्ड की बैठक में पूरे शहर में पेयजल आपूर्ति की समस्या से निजात दिलाने के लिए निर्णय लिया गया था. लेकिन, इस समस्या का निदान अबतक नहीं हुआ है. पूरे शहर में पेयजल को लेकर त्राहिमाम की स्थिति बनी हुई है. साथ ही शहर में फुटओवर ब्रिज, नाली-गली निर्माण, पार्क निर्माण और चौक-चौराहों पर प्रकाश की व्यवस्था को लिए गये निर्णय को अधर में लटका कर रखा गया है.
करोडों रुपये बिना अनुमति किये गये खर्च-
वहीं करोडों रुपये उन योजनाओं पर खर्च कर दिया गया, जिसकी अनुमति नहीं दी गयी थी. मेयर ने कहा कि यह योजनाएं उन लुटेरे गैंग के सदस्यों को दिया गया, जो नगर आयुक्त खास हैं. करीब 1.66 करोड़ रुपये के 36 योजनाओं ऐसी हैं, जिनकी अनुमति नहीं दी गयी थी. यह सभी पैसे नगर निधी से खर्च किये जा रहे हैं. जबकि विभाग की ओर से इन योजनाओं के लिए बजट तैयार किया गया है, जिसके लिए टेंडर की प्रक्रिया अपनायी जा सकती थी. वहीं इन कार्यों को करानेवाले का भुगतान नगर आयुक्त ने कर दिया है, जबकि सशक्त स्थायी समिति द्वारा अनुमोदित और प्रशासनिक स्वीकृति प्राप्त योजनाओं का कार्य पूर्ण हो जाने के बाद भी भुगतान नहीं किया जा रहा है. इसके अलावा टेंडर के माध्यम से हुए योजनाओं में भी कई ऐसे हैं, जिनका भुगतान रोक दिया गया है. जबकि कार्य की गुणवत्ता बेहतर है, जिसकी वजह से निगम के कार्य करनेवाले ठेकेदार परेशान हैं.

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