ATH NEWS GROUP OF MEDIA:-लोकसभा चुनाव के नतीजे चार जून को आएंगे, लेकिन उससे पहले शनिवार को आए एग्जिट पोल में लगातार तीसरी बार बीजेपी की सरकार बनने का अनुमान जताया गया है. सर्वे के मुताबिक, एनडीए को करीब 350 सीटें मिलती हुई दिख रही हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी ने एनडीए 400 पार का नारा दिया था. बीजेपी की तरह एनडीए के सहयोगी दल परफॉर्म करते नजर नहीं आ रहे हैं, जिसका नतीजा है कि एनडीए के 400 पार का सपना साकार होता नहीं दिख रहा. नीतीश कुमार से लेकर ओम प्रकाश राजभर, एकनाथ शिंदे और अजीत पवार जैसे पार्टनर एनडीए के लिए इस बार एक कमजोर कड़ी साबित हो रहे हैं.
एग्जिट पोल के मुताबिक, देश की 543 लोकसभा सीटों में से बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को 346 सीटें मिल सकती हैं जबकि कांग्रेस के अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन को 162 सीटें मिलने का अनुमान है. वहीं, अन्य दल के हिस्से में 35 सीटें जा सकती हैं. एनडीए को मिल रही 346 सीटों में से बीजेपी को 311 सीट मिल सकती है और बाकी सहयोगी दलों के हिस्से में 35 सीटें मिलने की संभावना है. बीजेपी की सीटें 2019 से भी ज्यादा बढ़ गई जबकि सहयोगी दलों की सीटें घट रही हैं. इसके चलते बिहार और महाराष्ट्र में एनडीए को तगड़ा झटका लगा है.
एनडीए में दोबारा से वापसी करने वाले चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी, जयंत चौधरी की आरएलडी और अनुप्रिया पटेल की अपना दल (एस) को छोड़ दें तो बीजेपी के बाकी सहयोगी दलों का प्रदर्शन इस बार कमजोर रहा है. बिहार में नीतीश कुमार की जेडीयू, महाराष्ट्र में शिंदे की शिवसेना और अजीत पवार की एनसीपी परफॉर्म नहीं कर रही हैं. एनडीए में दोबारा से आने वाले चिराग पासवान की पार्टी भी इस बार कमजोर साबित हुई है तो ओम प्रकाश राजभर अपने बेटे को जिताने में सफल नजर नहीं आ रहे हैं.
बिहार में नीतीश की नहीं रही बहार-
2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को 40 में से 39 सीटें मिली थीं, लेकिन इस बार सीटें घट रही हैं. सर्वे मुताबिक एनडीए को 27 सीटें तो इंडिया गठबंधन को 12 सीटें. इसके अलावा एक सीट अन्य को मिलने का अनुमान है. एनडीए को 12 सीटों का नुकसान होने की संभावना है. बीजेपी बिहार में अपने कोटे की सभी 17 सीट जीत सकती है, लेकिन जेडीयू अपने कोटे की 16 में से सिर्फ 7 सीटें ही हासिल कर सकती है. वहीं, एलजेपी (आर) के प्रमुख चिराग पासवान अपने कोटे की 5 में से 4 सीटें ही जीत सकते हैं.
बिहार में अगर एनडीए नुकसान हो रहा है तो इसका कारण सहयोगी दलों का परफॉर्म नहीं करना. एग्जिट पोल के मुताबिक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कमजोर कड़ी साबित हो रहे हैं, क्योंकि 2019 के मुकाबले में जेडीयू की सीटें घट रही हैं. पिछले चुनाव में जेडीयू को 16 सीटों पर जीत मिली थीं जबकि उसे इस बार 7 सीटें ही मिल सकती हैं. इस तरह जेडीयू को 9 सीटों का नुकसान हो सकता है. इसी तरह चिराग पासवान को एक सीटों का घाटा हो सकता है तो वहीं उपेंद्र कुशवाहा अपनी सीट भी जीतते हुए नजर नहीं आ रहे हैं.
बिहार में जेडीयू की सीट में आई कमी इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि मौजूदा एनडीए में नीतीश कुमार एक कमजोर कड़ी हैं और उनके खिलाफ लोगों में नाराजगी भी है. नीतीश कुमार से वोटरों का भरोसा टूट रहा है और उनके द्वारा लगातार पाला बदलने से उनके कोर वोटरों में गलत संदेश गया है. तेजस्वी यादव को कामयाबी मिलती दिख रही है, जिसका सियासी लाभ इंडिया गठबंधन को मिल रहा है. बीजेपी का अपना सियासी आधार मजबूत है और अपना प्रदर्शन पहले की तरह ही करती दिख रही है.
महाराष्ट्र में शिंदे-अजीत पवार फेल-
बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए को सबसे बड़ा सियासी झटका महाराष्ट्र में लगता दिख रहा है. सर्वे मुताबिक, महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से एनडीए को 22 सीटें मिलती दिख रही हैं तो इंडिया गठबंधन को 25 सीटें मिल सकती हैं. इसके अलावा एक सीट अन्य के खाते में जाने की संभावना है. एनडीए को पिछले चुनाव की तुलना में करीब 19 लोकसभा सीटों का नुकसान होता दिख रहा है. हालांकि, इस बार बीजेपी के पुराने सहयोगी उद्धव ठाकरे विपक्षी खेमे में थे, जिसकी भरपाई करने के लिए एकनाथ शिंद की शिवसेना और अजीत पवार की एनसीपी के साथ हाथ मिला रखा था. इसके बावजूद बीजेपी को लाभ नहीं मिल सका, क्योंकि शिंदे और अजीत पवार पूरी तरह से फेल रहे.
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के बीजेपी से अलग होने के बाद सियासी उलटफेर पांच साल से हो रहा है. शिवसेना और एनसीपी दो धड़ों में बंट गई है. उद्धव ठाकरे का तख्तापलट कर एकनाथ शिंदे ने शिवसेना छीन लिया तो शरद पवार की एनसीपी को अजीत पवार अपने नाम कर लिया. शिंदे-अजीत पवार ने बीजेपी के साथ हाथ मिला. इस तरह शिवसेना और एनसीपी में टूट के बाद महाराष्ट्र में ये पहला चुनाव है. उद्धव ठाकरे के जाने की भरपाई बीजेपी शिंदे की शिवसेना और अजित पवार के साथ करना चाहती थी, क्योंकि उसे उम्मीद थी कि दोनों के जुड़ने से NDA को फायदा हो सकता है.
एनडीए के तहत महाराष्ट्र की 48 में से बीजेपी 28, एकनाथ शिंदे के गुट वाली शिवसेना 15, अजित पवार की एनसीपी 4 और राष्ट्रीय समाज पक्ष एक सीट पर चुनाव लड़ी थी. एग्जिट पोल के मुताबिक, बीजेपी अपने कोटे की 28 में से 18 सीटें ही जीत सकती है तो वहीं शिंदे की शिवसेना के अपने कोटे की 15 में से चार सीटें मिलने का अनुमान है. अजीत पवार की एनसीपी का खाता खुलता नहीं दिख रहा है. 2019 की तुलना में बीजेपी को 5 सीटों का नुकसान हो रहा है तो शिंदे और अजीत पवार किसी तरह का कोई परफॉर्म नहीं कर सके.
वहीं, इंडिया गठबंधन में उद्धव की शिवसेना (यूबीटी) 21 सीट पर लड़कर 14 सीटें जीत रही है तो कांग्रेस अपने कोटे की 17 सीटों में से 5 और शरद पवार की पार्टी अपने कोटे की 10 में 6 सीटें जीत रही है. कांग्रेस और शरद पवार की पार्टी दोनों ही फायदे में है. बीजेपी ने देश में ‘400 पार’ का नारा दिया तो महाराष्ट्र में दावा किया है कि उसे 45 से ज्यादा सीटें मिलेंगी, लेकिन एग्जिट पोल के आंकड़े बहुत उत्साहित करने वाले नहीं दिख रहे हैं. बीजेपी ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद की कुर्सी सौंप दी थी और अजीत पवार को भी डिप्टी सीएम बना दिया था, लेकिन दोनों ही नेता पूरी तरह से फेल साबित हो रहे हैं.
उत्तर प्रदेश में राजभर रहे बेअसर-
उत्तर प्रदेश के सियासी समीकरण को मजबूत बनाए रखने के लिए बीजेपी ने अपने गठबंधन का दायरा इस बार बढ़ा दिया है, जिसमें पश्चिम यूपी में जयंत चौधरी की आरएलडी और पूर्वांचल में ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा के साथ गठबंधन किया था. इसके अलावा बीजेपी का अपना दल व निषाद पार्टी के साथ पहले से ही गठबंधन था. एग्जिट पोल के मुताबिक, यूपी में एनडीए को 66 सीटें मिलती दिख रही है तो 14 सीटें इंडिया गठबंधन के खाते में 14 सीटें जा सकती हैं. एनडीए की दो सीटें बढ़ रही हैं. बीजेपी यूपी में अपने पुराने प्रदर्शन को यानी 62 सीटें जीतती हुई नजर आ रही है. अपना दल भी अपनी दोनों सीटें जीतती हुई दिख रही है तो दो सीटें आरएलडी को मिल रही है.
बीजेपी के सहयोगी ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा को यूपी में एक सीट घोसी मिली थी, जहां से उन्होंने अपने बेटे अरविंद राजभर को प्रत्याशी बनाया था. एग्जिट पोल के मुताबित राजभर अपने बेटे को जिताते हुए नजर नहीं आ रहे हैं. बीजेपी ने यूपी में क्लीन स्वीप का टारगेट सेट किया था, पर एग्जिट पोल के लिहाज से पूरा होता नहीं दिख रहा है. इतना ही नहीं ओम प्रकाश राजभर अपने कोर वोटबैंक राजभर समुदाय पर भी मजबूत पकड़ नहीं बना रख पा रहे हैं.
एनडीए में नायडू ही सफल रहे-
बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन में किसी सहयोगी दल ने परफॉर्म किया है तो उसमें चंद्रबाबू नायडू सबसे बेहतर रहने की संभावना है. एग्जिट पोल के मुताबिक, आंध्र प्रदेश में बीजेपी का खाता खुलता दिख रहा है. राज्य की 25 लोकसभा सीटों में से टीडीपी को 9, बीजेपी को 2 और जेएसपी को 1 सीट मिल रही है. इस तरह एनडीए के हिस्से में 12 सीटें जा सकती हैं तो वहीं वाईएसआर कांग्रेस को 13 सीटें मिलने का अनुमान है. देश भर में एनडीए में बीजेपी के बाद किसी घटक दल का सबसे बेहतर परफॉर्म एग्जिट पोल में दिख रहा है, वो टीडीपी है. इसके अलावा जेडीयू को 7, एकनाथ शिंदे की शिवसेना को 4 सीटें मिल रही हैं. इसके अलावा बाकी दल सहयोगी एक-दो सीटें ही जीतते हुए नजर आ रहे हैं.
2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को अपने दम पर 311 सीट जीतने की संभावना है जबकि उसके बाकी सहयोगी दल को 35 सीटें मिल सकती हैं. ऐसे में अगर बीजेपी की तरह ही बिहार में जेडीयू, महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की शिवेसना और अजीत पवार की एनसीपी परफॉर्म करती तो नतीजे फिर अलग ही होते. बीजेपी ने एनडीए के 400 पार का जो नारा दिया था, उसके साकार होने का अनुमान होता. हालांकि, असल तस्वीर चार जून को नतीजे के दिन ही पता चल सकेगी.