ATH NEWS 11:-देश को आजादी तो मिली, लेकिन देश दो हिस्सों में बंट चुका था. इन दोनों ही हिस्सों में बंटवारे की आग प्रचंड थी. भारत से तमाम ‘अपने मुल्क’ पाकिस्तान पाकिस्तान जा रहे थे. उन्हें चिंता थी कि भारत में रहेंगे तो यहां हिंसा के शिकार होंगे और उनका सारा कुछ लूट लिया जाएगा. कुछ यही माहौल हरियाणा और राजस्थान के मेवात में थी. इन दोनों ही राज्यों में बसे मेव समाज के लोग भी पाकिस्तान जाने को तैयार थे. सैकड़ों लोगों ने घर बार छोड़ कर पाकिस्तान की राह भी पकड़ ली.
इसी बीच खबर महात्मा गांधी को लगी. उस समय वह दिल्ली के बिड़ला हाउस में ठहरे हुए थे. इतनी बड़ी तादात में मुसलमानों के भारत छोड़ने की खबर पर वह खुद को रोक नहीं सके और पहुंच गए मेवात. वह तारीख थी 19 दिसंबर, 1947 की. कड़ाके की ठंड पड़ रही थी और कोहरा ऐसा कि सुबह के 10 बजे तक सड़कों पर दिखाई नहीं दे रहा था. बावजूद इसके महात्मा गांधी एक झीनी सी धोती पहने मेवात के घासेड़ा गांव पहुंचे और उस समय मेवात के दिग्गज नेता चौधरी यासीन खान की मदद से मुसलमानों की एक पंचायत बुलाई.
पंचायत में पहुंचे थे 40 हजार लोग-
इस पंचायत में करीब 40 हजार से अधिक लोग पहुंचे थे. पंचायत की शुरुआत करते हुए महात्मा गांधी ने लोगों से सवाल किया कि वह क्यों पाकिस्तान जाना चाहते हैं. इसके बाद उन्होंने आधे घंटे तक लोगों के तर्क सुने और फिर आदेशात्मक लहजे में कहा कि किसी को पाकिस्तान जाने की जरूरत नहीं है. उन्होंने मेव मुसलमानों का भरोसा दिया कि जितना भारत हिन्दुओं का है, उतना ही मुसलमान का. उन्होंने भरोसा दिया कि यहां पर कोई हिंसा नहीं होने वाला. गांधी जी के इस आश्वासन पर मुसलमानों ने कभी भारत नहीं छोड़ने की शपथ ली.
4 घंटे तक रूके थे महात्मा गांधी-
इसी के साथ जो लोग मेवात से पाकिस्तान के लिए निकल चुके थे, उन्हें आदमी भेज कर वापस बुला लिया गया. इस सभा में गांधी जी ने कहा था कि वह किसी हाल में भारत पाकिस्तान का बंटवारा नहीं चाहते थे, लेकिन कुछ कट्टरपंथियों की वजह से ऐसा हुआ. महात्मा गांधी घासेड़ा गांव में करीब 4 घंटे रूके थे. इस दौरान उन्होंने चौधरी यासीन खान के घर में वैष्णव भोजन किया था. फिर शाम को वहां के लोगों से आते रहने का वादा कर दिल्ली चले गए थे.
गांधी ग्राम घोषित किया गया घासेड़ा-
चूंकि कुछ दिन बाद ही उनकी हत्या हो गई, इसलिए मेवात में महात्मा गांधी की यह पहली और आखिरी यात्रा हो गई. गांधी जी ने जिस स्थान पर मेव मुसलमानों के साथ सभा की थी, उस जगह पर आज एक स्कूल बना हुआ है. वहीं आजादी के बाद इस घासेड़ा गांव को गांधी ग्राम घोषित किया गया. हालांकि उसके बाद तमाम सरकारें आईं और गईं, लेकिन आज तक घासेड़ा गांव की दशा नहीं बदली. आज भी इस गांव के लोग मूल भूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं.