अंगद जी पाठक की रिपोर्ट:-
Ath news :-काराकाट /रोहतास:-आज दिनांक 26-05-2024दिन रविवार
बिहार के 40 सीटों में सबसे हॉट सीट बना काराकाट लोकसभा के निर्दलीय उम्मीदवार पवन सिंह को अब हल्के में लेना एनडीए और इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों को भारी पड़ने जा रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के सभा के बाद थोड़ी रेस तो आई है , लेकिन युवाओं और महिला वोटरों पर पवन की मजबूत पकड़ ने मुख्य उम्मीदवारों की रेस का कोई असर होते नही दिख रहा।
मोदी जी , नीतीश जी और तेजस्वी जी द्वारा काराकाट में सभाएं की गई , पर पवन का नाम का जिक्र तक नहीं हुआ। इसका कारण पवन का क्षेत्र में बढ़ता क्रेज है।
वैसे नासमझ और छुटभैये पत्रकार और यूट्यूबरो द्वारा इसे दूसरे एंगल से देखा जा रहा है। ऐसे लोगों का मानना है कि पवन भाजपा का संदिग्ध उम्मीदवार हैं। उन्हे इतनी समझ नही है कि बड़े नेता प्रतिद्वंदी स्थानीय स्तर के नेताओं का नाम नहीं लिया करते। वे राज्य और केंद्र स्तर के अपने प्रतिद्वंदियों पर प्रतिक्रियाएं दिया करते है। जैसे मोदी ने तेजस्वी , तेजस्वी ने मोदी और नीतीश ने तेजस्वी और लालू को निशाना बनाया। अगर स्थानीय स्तर के प्रतिद्वंदियों का नाम लेते हैं तो उसमे बड़े नेताओं का अपना क्रेज गिरता है।
पवन का नाम नहीं लेने के पीछे भी यही कारण रहा। लेकिन नासमझ पत्रकारों ने इसे दूसरे एंगल से देख लिया। अगर मोदी , नीतीश या फिर तेजस्वी एक बार भी पवन का नाम ले लेते तो स्पष्ट हो जाता कि वह सब पर भारी हैं।
बड़े नेताओं के रैलियों के बाद यह तो स्पष्ट हो गया कि जमीनी हकीकत को बदलना आसान नहीं है। एनडीए उम्मीदवार उपेंद्र कुशवाहा से लोगों की नाराजगी और इंडिया उम्मीदवार राजाराम के सही चयन नही होने का फायदा पवन को मिल रहा है। अगर इन दोनो उम्मीदवारों की जगह कोई दूसरा उम्मीदवार यहां मैदान में होता तो पवन सिर्फ भीड़ तक ही सिमट कर रह जाते।
इधर पवन एक सधे राजनीति की तरह मुद्दे उठा रहे और गांवों में महिलाओं के बीच जाकर “माई , काकी , भइया – भऊजी.. जैसे रिश्तों का अपनापन छोड़ रहें हैं , वह अधिक कारगर साबित हो रहा हैं। पहले तो एनडीए उम्मीदवार को नुकसान दिखता था। पर अब इंडिया उम्मीदवार की वोट बैंक में भी पवन ने सेंध लगा दी है।मसलन पवन के साथ दिखती भीड़ अब भीड़ नही रही , वह वोटों में कन्वर्ट होते दिख रही है।