गढ़वा ब्यूरो चीफ डॉ श्रवण कुमार की रिपोर्ट।
झारखंड:- गढ़वा जिले के कांडी प्रखंड में कतिपय किसानों ने परंपरा से हटकर पहली बार गरमा मुंगफली की खेती की है। यह विशुद्ध रूप से व्यावसायिक फसल है। वर्तमान में लहलहाती फसल को देखकर उन्नत पैदावार की उम्मीद प्रबल हो गई है। लेकिन किसानों ने कहा कि फसल की बोवाई व सिंचाई से सैकड़ा गुना अधिक मेहनत फसल की सुरक्षा में करनी पड़ रही है। जबकि परिस्थितियों को देखकर सुरक्षा कारगर हो पाएगी ही कहा नहीं जा सकता। कांडी प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत पंचायत व गांव घटहुआं कला निवासी जयशंकर प्रसाद गुप्ता व प्रमोद गुप्ता ने अपनी एक एकड़ खेत में गरमा मुंगफली की फसल लगाई है। उन्होंने अपने ही गांव के प्रमोद गुप्ता के मार्गदर्शन में मुंगफली बोया है। नैनाबार गाव निवासी नारद प्रसाद ने भी 5कट्ठा जमीन में गरमा मुंगफली की फसल लगाई है। जयशंकर व प्रमोद ने कहा कि मुंगफली का बीज छत्तीसगढ़ से लाया गया था। वहां बड़े पैमाने पर गरमा मुंगफली की खेती की जाती है। जिससे किसानों को अच्छा खासा मुनाफा होता है। इस मौसम में लगभग पूरा खेत खाली रहता है। किसान भी खाली रहते हैं। ऐसे में एक अतिरिक्त फसल उन्हें ऊर्जा प्रदान करनेवाली है। दोनों किसानों ने कहा कि हमलोग अन्य किसानों को भी गरमा मुंगफली की फसल लगाने के लिए जागरूक करने का काम कर रहे हैं। बताया कि पिछले दिनों लंबी अवधि तक उत्पन्न बिजली की समस्या उनके लिए घातक दौर था। उस विपरीत अवधि में किसी प्रकार डिजल पंप से इमरजेंसी संभालने का काम किया। 10 दिनों से बिजली की हालत में सुधार हुआ है। जिससे फसल की सिंचाई हो पा रही है। चारों तरफ बंजर जमीन की तरह परती पड़े खेतों के बीच लहलहाती हरी हरी फसल लोगों का मन मोह लेती है। लेकिन नीलगायों के आतंक से वे काफी आतंकित हैं। किसानों ने कहा कि नीलगायों से फसल को बचाने के लिए रात दिन एक करना पड़ रहा है। इसी में सबसे कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है। कभी पांच दस मिनट भी चौकसी में चूक हुई तो सारी मेहनत व खर्च पर पानी फिर जाएगा।