पापी पेट का सवाल हल करने के लिए अनमोल जिंदगी हेतु मनरेगा मजदूरों को मौत के मुंह में धकेलना कहां तक उचित?

 गढ़वा ब्यूरो चीफ डॉ श्रवण कुमार की रिपोर्ट।

झारखंड:- गढ़वा जिले के सभी प्रखंडों में बड़ी संख्या में किसानों ने मनरेगा की बिरसा समृद्धि सिंचाई कूप की योजना ले तो ली लेकिन इसके कार्यान्वयन में भारी परेशानी व जोखिम का सामना करना पड़ रहा है। बेहतर होता सिंचाई कूप की जगह किसानों को ओपन बोरिंग की सस्ती व बिना जोखिम की तथा निश्चित रूप से सफल योजना दी जाती। सिंचाई कूप बनाने में सबसे बड़ी बाधा है। मजदूरों की किल्लत कुआं की मिट्टी धंसने की वजह से होने वाली मौतों की आशंका से कोई मजदूर कुआं में कार्य करना नहीं चाहता है।लोहरदग्गा जिला में कुआं धंसने से चार मजदूरों की मौत की खबर आग की तरह चारों तरफ फैल गई। वास्व में यह कार्य काफी खतरनाक है। कुआं खोदने के बाद पानी उपर चढ़ने से तो कुआं धंसता ही है। हवा लगने से भी हल्के किस्म की मिट्टी का बड़ा बड़ा भाग (रादा) गिरने लगता है। जो कुआं में नीचे खुदाई या जोड़ाई का कार्य कर रहे मजदूर या मजदूरों के उपर गिरी तो मौत निश्चित है। यहां लाख टके का सवाल है की रोजी रोजगार और पापी पेट का सवाल हल करने के लिए अनमोल जिंदगी को मौत के मुंह में धकेलना कहां तक उचित है। इस कार्य में मिट्टी कब धंस जाए और दुर्घटना हो जाए कोई नहीं जानता, लेकिन दो जून की रोटी की आस में मजदूर मजबूर हैं। जान जोखिम में डालना उनकी मजबूरी है। बालू की आभाव में कार्य में काफी विलम्ब हो रहा है। इसमें जितना विलंब होगा उतना ही ज्यादा जोखिम बढ़ता जायेगा। ओपन बोरिंग की वर्षों से की जा रही मांग जिले के कांडी प्रखंड के किसानों व पंचायत प्रतिनिधियों के द्वारा वर्षों से सिंचाई कूप की जगह खेतों में ओपन बोरिंग कराए जाने की मांग की जा रही है। जो कहीं ज्यादा सस्ती, सुगम, सुरक्षित व लाभदायक है। खुटहेरिया पंचायत के उप मुखिया आतिश कुमार सिंह ने कहा की बिरसा समृद्धि सिंचाई कूप का स्टीमेट पांच लाख से उपर है।जिसके निर्माण में जोखिमों की भरमार है। जबकि एक सिंचाई कूप की लागत में कांडी के हेंठार इलाके में 10 जगह ओपन बोरिंग हो जायेगा। जबकि कांडी के ही पहाड़ी इलाकों में भी 5 से 7 जगह ओपन बोर किया जा सकता है। ओपन बोरिंग की अब सबसे प्लस प्वाइंट है की अधिकांश गावों में बिजली आ गई है। जरूरत है की ओपन बोरिंग की जगह पर किसानों की खेत में सरकार व बिजली विभाग किसानों को कनेक्सन देकर वहां तक पोल तार व जहां जरूरी हो ट्रांसफार्मर लगा दे। पहले डीजल पंप से गहराई में से पानी निकालना संभव नहीं था, लेकिन अब बिजली आने पर सबमर्शिबल डालकर कितनी भी गहराई से पानी निकाला जा सकता है। गावों में जहां पानी नजदीक है। वहां अपने से ओपन बोरिंग करा कर किसान सिंचाई कर रहे हैं। अगर सरकार कुआं की जगह बोरिंग का प्रावधान कर दे तो सही मायने में गावों में हरी क्रांति आ जायेगी।

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