श्रीमद् भागवत कथा में छठवें दिन हुआ कृष्ण और रुक्मणी का विवाह।

 

बनकटी से दुर्ग विजय चौधरी की रिपोर्ट।

बनकटी बस्ती – कुदरहा ब्लाक के ग्रामपंचायत सिसई पंडित मे नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन हुआ है सृष्टि का सार तत्व परमात्मा है। इसलिए असार यानी संसार के नश्वर भोग पदार्थों की प्राप्ति में अपने समय, साधन और सामर्थ्य को अपव्यय करने की जगह हमें अपने अंदर स्थित परमात्मा को प्राप्त करने का लक्ष्य रखना चाहिए। इसी से जीवन का कल्याण संभव है। भागवत कथा श्रवण से मन का शुद्विकरण तो होता ही है इससे संशय भी दूर हो जाता है और मन को शान्ती मिलती है। ईश्वर से सम्बन्ध जोड़कर हम हमेंशा के लिए उन्हें अपना सकते है। भागवत कथा कल्पवृक्ष के समान है।
यह बाते अवध धाम से आये कथा वाचक भागवत रत्न आचार्य शुभम जी महाराज ने सिसई पंडित गांव मे चल रही नौ दिवसीय संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन ब्यास पीठ से प्रवचन सत्र मे ब्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि सिर्फ लक्ष्मी जी की पूजा करने से लक्ष्मी जी भक्त के घर उल्लू की सवारी करके जाती है और भक्त दुर्व्यसन में लिप्त हो जाता है। जबकि भगवान विष्णु की उपासना करने पर लक्ष्मी जी गरुण वाहन पर बैठ कर भक्त के घर जाती है। जिससे भक्त धर्मपरायण होकर पैसे को समाज हित में लगाता है। एकादशी व्रत से पांच ज्ञानेन्द्रियाँ, पांच कर्मेन्द्रियाँ और एक मन पर जीव का पूर्ण नियन्त्रण हो जाता है। एकादशी व्रत सबको करना चाहिए। इससे मन व इंद्रियों पर नियंत्रण बढ़ता है। एकादशी के दिन चावल नही खाना चाहिए। एकादशी ब्रत शुक्ल व कृष्ण दोनों पक्ष में रहना चाहिए। ब्रत निराहार सर्वोत्तम, नही तो घी पीकर, नही तो दूध पीकर, नही तो फल खाकर, नही तो दूध रोटी खाकर फिर भी ब्रत न हो सके तो रोटी सब्जी खा लें। गेंहू, अरहर और बाकला अन्न नही है। अन्न केवल सतन्जा होता है। युवाओ के मन में रास को लेकर तमाम भ्रांतियां हैं। लेकिन आत्मा और परमात्मा का मिलन ही रास लीला है ।
जीव द्वारा अपनी ही तरह भगवान के खान पान का भाव है रास। राक्षसों को मारते, भक्तों को तारते अन्त में भगवान श्री कृष्ण का विवाह रुक्मिणी से होता है। बच्चों द्वारा भगवान के विवाह की आकर्षक झांकी श्रद्धालुओं के आकर्षण का केन्द्र रहा। इस दौरान कथा मण्डप में विवाह सम्पन्न होते ही चारों तरफ से श्रीकृष्ण-रुक्मणी पर जमकर फूलों की बरसात हुई।
कथा में मुख्य यजमान चन्द्रमणी यादव, वैदिक विद्वान आचार्य यदुनन्दन शुक्ल, आचार्य सचिन द्विवेदी, जिला पंचायत सदस्य प्रदीप यादव ऊर्फ राजा भैया, राघवेंद्र यादव, राम हरीश यादव, हरी नाथ यादव, डॉ बृजभूषण यादव, अभिषेक यादव, विवेक यादव, अखिलेश यादव, आयुष यादव, सोनू चौधरी, आदित्य यादव, मोनू यादव, सनोज यादव, श्याम वीर यादव, प्रधान राज यादव सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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